Vivek Bijnori
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मैं खुद को उसके पहलू में छिपाता हूँ तो हंगामा,
मैं कुछ पल साथ जो उसके बिताता हूँ तो हंगामा
नहीं मालुम के कमबख्त जमाना चाहता क्या है,
दर्द उसकी जुदाई का दिखता हूँ तो हंगामा
मैं दर्द-ऐ-दिल को जो दिल में दबाता हूँ तो हंगामा,
मैं रो के खुद की पलकों को भिगाता हूँ तो हंगामा
समझ आता नहीं ये खेल जो भाई है ज़माने का,
मैं राज-ऐ-दिल जो तुम सबको बताता हूँ तो हंगामा
विवेक कुमार शर्मा
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