Vivek Bijnori
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“सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता,
मगर पी लेता अगर तू शराब होती
किताबों से मेरा तालुक़ नहीं रहा कबसे,
मगर फुरसत से पढ़ता अगर तू किताब होती
ख्वाब तक आते नहीं मुझको नींद में,
पर बुलाया करता अगर तू ख्वाब होती
नजरें ही मिली थीं अपनी मुलाकात में,
चेहरा भी देखता अगर तू बेनकाब होती”
विवेक कुमार शर्मा
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